मस्त पति पत्नी की चुदाई की कहानी

क सुबह, मुझे गंगा की याद आई।
(आप शायद भूले नहीं होंगे की गंगा मेरे ससुराल के, पड़ोस में रहने वाली, मेरे पति के दोस्त की पत्नी है जिसको की उसका पति चोद नहीं पाता था और वो मेरे पति से चुदवाया करती थी.. !! हम तीनों ने भी, मैंने, मेरे पति ने और गंगा ने मेरी शादी के पहले एक बार सामूहिक संभोग भी किया है। विस्तार से जानने के लिए पढ़िए – मेरी चुदासी चूत 1-9।)
दोपहर का खाना खाने के बाद, मैं उस से मिलने उस के घर गई।
मेरी खुसकिस्मती थी की उसके सास ससुर बाहर गये हुए थे.. !!
पति ऑफीस में था और वो घर पर अकेली थी.. !! .. !!
वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई पर मैंने उदासी साफ़ साफ़, उसके चेहरे पर देखी।
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अब पढ़िए आगे –
मैं – हाय गंगा…
गंगा – हाय कशिश…
मैं – क्या बात है… ?? सुस्त लग रही हो…
गंगा – हाँ यार… और तुम को पता है की क्यों सुस्त हूँ…
मैं – हाँ… मुझे पता है… क्या अभी भी तुम्हारा पति वैसा ही है… ??
गंगा – हाँ यार!! ये मेरी बदक़िस्मती है… वो हमेशा कोशिश करते हैं और हमेशा ही अंदर डालने के पहले ही उनका पानी निकल जाता है… मुझे समझ में नहीं आता की क्या करूँ… लगता है, मेरी किस्मत में यही सब लिखा है…
मैं – फिर तुम संतुष्ट होने के लिए क्या करती हो… ?? क्या कोई दोस्त है, चोदने वाला… ??
गंगा – नहीं यार… कोई दोस्त नहीं है… मेरी सासू माँ दिन भर घर में रहती हैं और मुझे कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती… दोस्त कैसे बनेगा और बन भी गया तो बहुत मुश्किल है उस से चुदवाना… मैं तो रात को बिस्तर में अपनी उंगलियों का इस्तेमाल करके ही, अपनी जलन मिटाती हूँ…
मुझे उसकी बातें सुन कर बहुत दुख हुआ।
एक सुंदर, जवान, शादीशुदा औरत, पर चुदाई के लिए तरसती है.. !!
मैंने उसको बाहों में भर लिया तो उसने भी मुझे जकड़ लिया।
मैं महसूस कर रही थी की वो बहुत ही गरम है, सेक्सी है।
मेरे दिमाग़ ने मुझसे कहा की ये अच्छा मौका है दो सेक्सी औरतों के बीच मे चुदाई का खेल खेलने का।
मैं बोली – तुम्हारी सासू माँ कब तक आएगी… ??
गंगा – शायद, शाम तक… सासू माँ और ससुरजी, दोनों किसी सगे वाले के घर गये है…
समय हमारे साथ था.. !!
हम दोनों के अंदर, चुदाई का शोला भड़कने लगा।
दो सेक्सी औरतें भी आपस में चुदाई का पूरा आनंद ले सकती है।
गंगा मेरी तरफ देख कर मुस्कराई।
उस ने घर का दरवाजा अंदर से बंद किया और हम दोनों उसके बेडरूम में आ गईं।
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हम दोनों को अपने अपने कपड़े उतार कर नंगी होने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगा।
मैंने अपने कपड़े संभाल कर सोफे पर रख दिए क्यों की मुझे वही कपड़े पहन कर चुदाई के बाद अपने घर जाना था।
मैं नहीं चाहती थी की मेरे कपड़े देख कर किसी को पता चले की मैं चुद कर या चोद कर आ रही हूँ।
वो भी चुदाई के लिए मेरी तरह प्यासी थी और उसने मुझे पकड़ कर मेरे नंगे बदन को बिस्तर पर खींच लिया।
मैंने अपने होंठ उसके रसीले, गरम होठों पर रख दिए और हम एक बहुत गहरे, गरम और लंबे चुंबन में खो गईं।
चुंबन के दौरान मैं उसकी, मेरे से ज़रा छोटी चुचियों से खेल रही थी और वो मेरी चुचियों और निपल्स को दबाने और मसलने लगी।
मैंने महसूस किया की चुदाई हमारे दिमाग़ पर छा गई और जवाब में हम दोनों की चूत अपने ही रस से गीली होने लगीं।
हमारे प्यार की जगह, प्यार का रास्ता चुदाई की चाहत में भीग कर गीला हो गया.. !!
मेरी पहले से कड़क हो गई निप्पल को गंगा ने अपने मुंह में लिया और उसे किसी बच्चे की तरह चूसने लगी।
मेरी दूसरी चुचि और निप्पल उस के हाथ में खिलोना बन चुकी थी।
मेरी चुचियाँ और मेरी निपल्स रोज ही मेरे पति द्वारा चूसी जाती हैं और मैं हमेशा ही अपनी चुचि चुसाई का मज़ा लेती हूँ।
लेकिन, अब जब गंगा मेरी चुचि चूस रही थी और उनको दबा रही थी, मसल रही थी तो एक अलग प्रकार का आनंद आ रहा था।
गंगा तो इतनी गरम हो चुकी थी और चुदाई की इतनी प्यासी थी की उसने मेरी निप्पल पर अपने दाँतों से काट ही लिया।
ऐसा लग रहा था की वो मेरे बदन में समा जाना चाहती है।
कुछ देर तक, वो मेरी चुचियाँ चूसती रही और फिर मैंने भी उसकी चुचियाँ चूस कर उस को चुदाई के लिए एकदम गरम कर दिया
गंगा ने अपनी प्यारी सी, कम चुदी, गीली, रसीली चूत मेरी चूत से रगड़नी शुरू कर दी।
हम दोनों की ही चूत से रस छलक रहा था और हमारी टाँगों के जोड़ पर दोनों चूत से निकला रस आपस में मिल गया था।
मैंने अपना हाथ उसकी प्यारी सी चूत की तरफ बढ़ाया और हल्के से उसकी मुलायम रसीली चूत को छुआ।
मेरे हाथ से उसकी चूत छूते ही वो तो जैसे हवा में उछल पड़ी।
ऐसा शायद इसलिए हुआ था की उसकी चूत को किसी और ने बहुत दिनों बाद हाथ लगाया था।
उसका पति तो वैसे ही ना मर्द था और वो खुद ही अपनी चूत में उंगली करके शांत होती थी।
मुझे उस की चूत बिना देखे ही, सिर्फ़ छूने से ही पता चल चुका था की उस की फूली हुई चूत सफाचट है, बिल्कुल मेरी जैसी.. !!
हम दोनों ही अपने आप को ज़्यादा देर तक रोक नहीं सकीं और हम बेताब थीं अपना लेज़्बीयन खेल खेलने के लिए।
हम अब लेज़्बीयन चुदाई की 69 पोज़िशन में आ चुकी थीं।
69 पोज़िशन एक उत्तम पोज़िशन है, सब के लिए।
अब गंगा की चूत मेरी आँखों के सामने और मेरी चूत गंगा की आँखों के सामने थी।
यहाँ मैं ये ज़रूर लिखना चाहूँगी की गंगा की चूत बहुत ही प्यारी, छोटी सी, बहुत मासूम और उसकी चूत के होंठ आपस में पूरी तरह जुड़े हुए हैं।
एक छोटी सी, बहुत ही कम चुदी चूत, जैसे गंगा की चूत है से खेलने का अपना अलग ही मज़ा है।
सफर जारी है… …

Comments

  1. Mei bhi ek tadapti rand hu.kon santust krega muze

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  2. Maa ki lodi randiya kitne bhi lund khaye.fir bhi bhen ki bhosdi lund ke liye kyu tadapati rheti hai

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